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शनिवार, 27 जनवरी 2018

नवजीवन


बैठता हूँ तो घर पुराना याद हमको आ रहा हैं
अहसास हो रहा कि बुढापा पास मेरे आ रहा है
 
भीड भाड से भर गया मन, हुयी दावतों से बेरुखी
याद कर भूली बिसरी बातें, छा रही मन में खुशी
शरारते बच्चो सी करने को, दिल फिर चाह रहा है
अहसास हो रहा कि बुढापा पास मेरे आ रहा है
 
पॉप डिस्को पब की बातें, खास कु्छ लगती नही
डोसे पिज्जा बर्गर से मेरी, भूख अब मिटती नही
छोटू हलवाई का समोसा, फिर मुझे लुभा रहा है
अहसास हो रहा कि बुढापा पास मेरे आ रहा है
 
आसमां छूने चले और  छूट गया अपना ही आगन  
चलते चलते जाने कब छूट गया अपनो का दामन
ऐ जिन्दगी फिर से तुम्हे जीने आ दिन आ रहा है
अहसास हो रहा कि बुढापा पास मेरे आ रहा है
 
यारों के संग घूमना, दुनिया से हो्कर बेफिकर
सर्दी की रातों में छत पर, वो इन्तजार हो बेसबर
वो भूला नगमा रफी लता का जुबॉ पर आ रहा है
अहसास हो रहा कि बुढापा पास मेरे आ रहा है

बैठता हूँ तो घर पुराना याद हमको आ रहा हैं
अहसास हो रहा कि बुढापा पास मेरे आ रहा है

मंगलवार, 23 जनवरी 2018

निगाहें


हमे जिसने भी देखा, अपनी निगाह से देखा
मेरी निगाह से मुझे न किसी निगाह ने देखा

ये शिकायत सिर्फ मेरी नही, हर निगाह की है
पढकर कई निगाहों को मेरी निगाह ने देखा

जुदा नही आरजू इन निगाहो की तेरी निगाहों से
 यही कहा मेरी निगाह ने जब तेरी निगाह ने देखा

तरस आया तुम्हे मेरी बेबसी पर और हमे तुम पर
जब चुराकर निगाह जाते तुझे मेरी निगाह ने देखा

सुबूत चाहिये किसे तेरी शराफत का जानिब
काफी है वो नजारा जो मेरी निगाह ने देखा

यकी हमको तो नही पर्देदारी की रिवायत का
नकाबपोशों को भी गिरते मेरी निगाह ने देखा

कर न सकी साबित वो गुनहगार को अदालत में
कि दर्द का तमाशा गूंगी बहरी निगाह ने देखा
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